Shri Krishna की मृत्यु और उसके बाद की प्रमुख घटनाय
Shri Krishna की लीलाओं से शायद ही कोई शख्स अंजान होगा. लेकिन क्या आप जानते हैं कि कृष्ण की मृत्यु क्यूँ और कैसे हुई थी? और जब उनकी मृत्यु हुई तो उनके पास कौन पँहुचा था? {1}
लेकिन आज जिस विषय पर हम बात करने जा रहे है, शायद ही लोग इसके बारे मे जानते होंगे। जब बलराम जी ने अपना शरीर त्याग दिया था तब श्री कृष्ण जी ने उन्हे देख लिया था, तब Shri Krishna जी को मालूम हो गया था अब सब समाप्त हो गया हैं। तो वह एक पीपल के पेड़ के नीचे जाकर बैठ गए जहा उन्होंने मे अपना चतुरबूझ रूप धारण किया हुआ था। श्री कृष्ण ने अपनी दाहिना झाँग पर अपना बाया पैर रखा हुआ था, उनका अति सुंदर लाल लाल कोमल चरण किसी लाल रक्त समान चमक रहा था। तभी वहा से एक जरा नामक बहेलिए एक हिरण की खोज में वहा से निकल रहा था। उसने श्री कृष्ण का लाल-लाल कोमल तलवा उसे एक हिरण के मुख के समान प्रीतित हुआ और उस बहेलिए ने कुछ न सोचते हुए श्री कृष्ण के तलवे पर अपने तीर से श्री कृष्ण का तलवा चीर दिया।
जब बहेलिए ने पास जाकर देखा तो उन्हे मालूम चला यह तो एक महा पुरुष Shri Krishna हैं, बहेलिए वही फुट फुट कर रोने लगा और अपनी मृत्यु की भीक मांगने लगा और कहने लगा, मेरी इस गलती की कोई माफी नहीं हैं, आप मुझे मृत्यु का दंड दीजिए जिससे मैं एसी गलती कभी न कर सकु। तब श्री कृष्ण जी कहते हैं, हे प्यारे! तू डर मत तूने कुछ भी अनुचित नहीं किया, मेरी मृत्यु तो निश्चित थी, जो कुछ भी होता हैं मैं उन सब मे समिलित होता हूँ और यह तो विधि का विधान हैं, तब श्री कृष्ण उस बहेलिए को बताते हैं की यह नियति कैसे हुई; श्री कृष्ण कहते हैं, पिछले जन्म मे तुम वानर राज बाली थे, जिसे मैंने धोखे से तीर मारा था। उस नियति के कारण ही यही नियति बनी, और इसी तरह तुमने मुझे धोखे से मारा, अब तुम उस स्वर्ग लोक की तरफ प्रस्थान करो, जिसकी प्राप्ति बड़े बड़े पुनने-वानों को होती हैं।
उसके बाद दारुक वहा आए, दारुक दरअसल भगवान श्रीकृष्ण के सारथी थे, जो बड़े स्वामी भक्त थे। श्री कृष्ण को देख कर उनका ह्रदय रो उठा और उनकी आँखों से आसू बहने लगे। श्री कृष्ण ने कहा, अब तुम अर्जुन के पास द्वारका जोओ और अर्जुन को मेरे और बलराम के बारे मे बताओ और कह दो की अब श्री कृष्ण के बाद द्वारका पूरी तरह से डूब जाएगी। क्यूंकी श्री कृष्ण जी ने यह द्वारका सुमद्र से जमीन उधार लेके बनाई थी। और श्री कृष्ण की मृत्यु के बाद समुद्र यह जमीन वापिस लेने आएगा, इसलिए सभी द्वारका को खाली करदे और इंद्रहप्रस्थ चले जाए। दारुक श्री कृष्ण के आदेश का पालन करता हैं और जल्द से जल्द अर्जुन के पास द्वारका पँहुचता है और अर्जुन को इस विषय मे सब कुछ बता देता हैं।
और फिर दारुक के जाने बाद ब्रह्मा, इन्द्र, शिव पार्वती, ऋषि-मुनि, अप्सराये, यक्ष-राक्षस व अन्य ब्राह्मण; श्री कृष्ण के परम धाम प्रस्थान को देखने के लिए आए उनके आने से उनका आकाश पूरी तरह से जग मगा उठा। और फिर तभी श्री कृष्ण ने अपना देह को वही त्याग किया।