सर्वोत्तम परिणाम प्रदान करने के लिए सरस्वती यंत्र लटकन को बुधवार के दिन पहना जाना चाहिए। पहनते समय माँ सरस्वती के मंत्र का जाप जरूर करें- “ओम श्री सरस्वत्यै नमः”
Product Description:
- Size: 30 mm, Chain: 21 Inch
- Color: Golden
- Material:- Brass (Premium Quality)
- In the Box: 1 Maa Saraswati Locket + 1 Chain
Key Points:
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सरस्वती यन्त्र लॉकेट में ज्ञान की देवी कही जाने वाली माँ सरस्वती की अलौकिक शक्तियों का वास है। इसे धारण करने से देवी सरस्वती की असीम कृपा बरसती है। कई बार हम जिस व्यवसाय या नौकरी में लगे होते है उसमें रूचि होने के बावजूद हमारा मन नहीं लगता क्योंकि हमारे आस-पास मौजूद नकारात्मक ऊर्जा हमें ऐसा करने से रोकती हैं। ये बुरी शक्तियां हमारे काम में अड़चन डालती है। ऐसे में Saraswati Yantra Locket यदि धारण कर लिया जाए तो इसमें शामिल शक्ति सभी नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त कर उद्देश्य प्राप्ति का मार्ग तैयार करती है।
जिन बच्चों का पढ़ाई में मन नहीं लगता है, जिनकी एकाग्रता क्षमता और याददाश्त कमजोर है उन्हें भी यह लॉकेट अवश्य ही धारण करना चाहिए। कला, संगीत, लेखन, चित्रकला आदि क्षेत्रों से संबंध रखने वाले लोगों को तो Saraswati Yantra Locket से असीम लाभ मिलने की संभावनाएं हैं।
1. Saraswati Yantra Locket कमजोर याददाश्त, पढ़ाई में ध्यान न लगना और परीक्षा का भय इन सभी परेशानियों को दूर करता है।
2. किसी भी कार्य, प्रोजेक्ट, असाइनमेंट जैसे लक्ष्यों को बिना अड़चनों के पूर्ण करता है।
3. कॉम्पिटिटिव ( प्रतिस्पर्धात्मक ) परीक्षाओं की तैयारी में जुटे छात्र, कला, साहित्य क्षेत्र में कार्यरत लोग और शोधकर्ताओं के लिए सरस्वती यन्त्र अत्यंत लाभकारी सिद्ध होगा।
4. लॉकेट धारण करने से व्यक्ति की बुद्धि और ज्ञान में बढ़ोतरी होती है।
5. यह Locket मानसिक विकार जैसे अवसाद, चिंताएं और मनोदशा विकार आदि से तुरंत मुक्ति दिलाता है।
1. गुरूवार के दिन प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
2. इसके बाद Mata Saraswati की प्रतिमा चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर रखें।
3. फिर घी का दीपक और धूप जलाएं।
4. देवी को सफेद या पीला भोग अर्पित करें।
5. अब Saraswati Mantra का उच्चारण करते हुए सरस्वती यन्त्र लॉकेट को धारण करें।
6. लॉकेट को धारण करने के बाद नियमित रूप से पूजा माँ सरस्वती की पूजा करनी चाहिए।
जब ब्रह्मा जी ने इस सृष्टि का निर्माण किया तो वे एक दिन सृष्टि का भ्रमण करने के लिए निकले। उनके द्वारा रचित उस संसार में सभी थे – जीव, जंतु, पेड़-पौधे, पुष्प, जल और पर्वत पर इसके बावजूद संसार में नीरसता तथा उदासी थी। ब्रह्मा जी ने जब चारों तरफ देखा तो उन्हें सुंगंध और हर्ष की कमी महसूस हुई। इसके लिए उन्होंने अपने कमंडल से अमृत की कुछ बूंदो को छिड़का।
ब्रह्मा जी द्वारा छिड़की गई उन बूंदों से एक अलौकिक शक्ति उत्पन्न हुई जो देखते ही देखते श्वेत वस्त्र धारण किये स्त्री रूप में परिवर्तित हो गई। श्वेत वस्त्र धारण किये अलौकिक शक्ति के एक हाथ में वीणा, एक हाथ में पुस्तक थी। इन्हीं का नाम ब्रह्मा जी ने सरस्वती रखा। देवी के आगमन से पूरे संसार में हर्ष सुगंध की भांति फैलने लगा। सभी जीव-जंतु, पेड़-पौधे ख़ुशी से झूमने लगे। इस प्रकार Maa Saraswati की इस संसार में उत्पत्ति हुई।
सरस्वती का अर्थ है ज्ञान, विद्या और संगीत का रस उत्पन्न करने वाली देवी। यही कारण है कि Mata Saraswati के हाथों में पुस्तक और वीणा विराजमान हैं।
ज्ञान, विद्या, शांति और शुद्धता का रंग श्वेत माना जाता है इसलिए Maa Saraswati का रंग भी श्वेत है जो उन्हें सबसे प्रिय है। इस संसार में जिस किसी के भी पास ज्ञान और विद्या का असल भण्डार है उसके पास शान्ति तथा शुद्धता जैसे गुण भी अवश्य ही पाए जाते हैं।
आइये जानते हैं how to do saraswati puja at home :
1. Saraswati Puja के लिए प्रातःकाल स्नान कर माँ सरस्वती की प्रतिमा को चौकी पर पीला वस्त्र बिछाकर रखें।
2. अब उन्हें रोली, अक्षत, चन्दन, केसर, पीले या श्वेत पुष्प अर्पित करें।
3. इसके बाद देवी को भोग में पीला या श्वेत मिष्ठान चढ़ाएं।
4. घी का दीपक और धूप जलाएं।
5. इसके उपरांत हाथ जोड़कर सरस्वती वंदना करें।
God Saraswati को श्वेत या पीली चीजें बहुत प्रिय है इसलिए उन्हें इसी रंग के वस्त्र, भोग और फल आदि चढ़ाने की परंपरा चली आ रही है।
सरस्वती देवी की उत्पत्ति ब्रह्मा जी के कमंडल से छिड़के गए अमृत से हुई है इसलिए उनके पिता ब्रह्मा जी है और उनकी कोई माता नहीं है।
माँ सरस्वती के अन्य नाम हैं : भारती, सरस्वती, शारदा, हंसवाहिनी, जगती, वागीश्वरी, कुमुदी, ब्रह्मचारिणी, भुवनेश्वरी, वरदायिनी।
सरस्वती माँ का वर्ष में सबसे शुभ दिन बसंत पंचमी और हर हफ्ते आने वाला बृहस्पतिवार शुभ दिन माना जाता है।
Saraswati Yantra for Studies : पढ़ाई के लिए Saraswati Mantra : ‘ऊं नमो भगवती सरस्वती वाग्वादिनी ब्रह्मीणी ब्रह्मस्वरूपिणी बुद्धिवादिनी मम विद्या देहि-देहि स्वाहा।’ इस मंत्र का 1, 3, 5,7 या फिर 11 बार जाप करना चाहिए।