संकष्टी चतुर्थी | Sankashti Chaturthi
हिंदू धर्म में, चतुर्थी तिथि भगवान गणेश को समर्पित है। इसलिए हर माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर गणपति बप्पा के लिए व्रत रखा जाता है और उनकी पूजा अर्चना की जाती है। माना जाता है कि संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखने पर और पूरे मनोभाव से गणपति बप्पा का पूजन करने पर जीवन से सभी दुख हट जाते हैं और बप्पा कष्टों का निवारण कर देते हैं। पंचांग के अनुसार, चैत्र माह में पड़ने वाली संकष्टी चतुर्थी को भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। ( Sankashti Chaturthi 2024 ) संकष्टी चतुर्थी 2024 में 28 मार्च, गुरुवार के दिन हैं इस दिन भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जा रहा है।
भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि (Bhalchandra Sankashti Chaturthi Puja Vidhi)
भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी के दिन, ब्रह्मा मुहूर्त में उठें और दिन की शुरुआत भगवान गणेश जी के ध्यान से करें। फिर स्नान करें और सूर्य देव को जल अर्पित करें। उसके बाद, मंदिर की सफाई करें और एक चौकी पर कपड़ा बिछाकर गणेश जी की मूर्ति विराजमान करें। गणेश जी का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें और देशी घी का दीपक जलाकर गणपति बप्पा की पूजा-अर्चना और आरती करें। साथ ही, गणेश चालीसा और मंत्रों का जाप करें। फिर भोग के रूप में गणेश जी को प्रिय मोदक या तिल का लड्डूओं का भोग लगाएं। संध्या के समय, चंद्रमा को अर्घ्य देकर अपना व्रत पूरा करें।
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संकष्टी चतुर्थी शुभ मुहूर्त ( Sankashti Chaturthi Shubh Muhurat )
भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी 28 मार्च 2024 को मनाई जाएगी। इस दिन पूजा करने का शुभ मुहूर्त सुबह 10 बजकर 54 मिनट से दोपहर 12 बजकर 26 मिनट तक रहेगा। वहीं शाम को 05 बजकर 04 मिनट से शाम 06 बजकर 37 मिनट तक भगवान गणेश जी की पूजा कर सकते हैं।
संकष्टी गणेश चतुर्थी का महत्व ( Sankashti Ganesh Chaturthi Ka Mahatv )
संकष्टी चतुर्थी का व्रत सुख समृद्धि प्रदान करने वाला व्रत माना जाता है. ऐसी मानयता है कि जो इस व्रत को रखता है उसके जीवन में सुख, शांती और समृद्धि की प्राप्ति होती है, जीवन में आ रहीं सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं. इस दिन प्रथम पूजनीय भगवान श्री गणेश की पूजा की जाती है.
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संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत विधि ( Sankashti Ganesh Chaturthi Vrat Vidhi )
Sankashti Chaturthi 2024 Vrat Vidhu : संकष्टी चतुर्थी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान-ध्यान करें और व्रत का संकल्प लें। इसके बाद घर के मंदिर में एक चौकी पर हरे रंग का कपड़ा बिछाकर गणेश जी की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। अब प्रतिमा के समक्ष दीप जलाएं और गणपित जी को गंगाजल से अभिषेक करें।
क्या संकष्टी चतुर्थी में प्याज खा सकते हैं? ( Kya Sankashti Chaturthi mein pyaaj khaa sakate hain )
संकष्टी चतुर्थी व्रत के दौरान, भक्त सख्त शाकाहारी भोजन का पालन करते हैं और चावल, अनाज, दाल, प्याज और लहसुन का सेवन करने से परहेज करते हैं ।
क्या हम संकष्टी व्रत के दौरान सो सकते हैं? ( Kya Hum Sankashti Vrat ke dauraan so sakate hain ? )
हाँ, सोना मायने रखता है । भोजन न करने की कोई भी अवधि उपवास है।
संकष्टी चतुर्थी के उपाय ( Sankashti Chaturthi Ke Upay )
संकष्टी चतुर्थी का व्रत चंद्र देव के दर्शन के बाद ही पूर्ण माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सबसे पहले भगवान गणेश का जलाभिषेक करना चाहिए। इसके बाद गणेश जी को पुष्प और फल अर्पित करने चाहिए और साथ ही पीले रंग का चंदन लगाना चाहिए। गणेश जी को बेसन का लड्डू या मोदक का भोग लगाये और संकष्टी चतुर्थी ( Sankashti Chaturthi ) की कथा का पाठ करें।
संकष्टी चतुर्थी व्रत में क्या खाएं? ( Sankashti Chaturthi Vrat me kya khaye )
सकट चौथ के दिन निर्जला उपवास के साथ फलाहार कर सकते हैं. फलाहार में आप मीठे फलों और जूस का सेवन कर सकते हैं. इसके अलावा आप इस दिन सेंधा नमक का भी इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं. संभव हो तो फलाहार में केवल मीठा व्यंजन ही खाएं.
गणेश चतुर्थी का व्रत क्यों किया जाता है ( Ganesh Chaturthi Ka Vrat kyu kiya jaata hain )
सकट चौथ यानी कि संकटों को दूर करने वाली गणेश चतुर्थी। इस दिन व्रत करने से विघ्नहर्ता और संकटों को दूर करने वाले भगवान गणेशजी प्रसन्न होते हैं और आपके सभी कष्टों को दूर करते हैं। इस दिन व्रत करने वाली महिलाओं के लिए पूजा में व्रत कथा करने का सर्वाधिक महत्व होता है।