रथ सप्तमी | Ratha Saptami
Ratha Saptami 2024 – रथ सप्तमी का व्रत माघ माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि ( Saptami Date ) को मनाया जाता है। इस दिन भगवान सूर्य की पूजा की जाती है। विशेष ध्यान दिया जाता है कि रथ सप्तमी के दिन सुबह पहले किसी कुंड या पवित्र नदी में स्नान करने से स्वास्थ्य का लाभ होता है। मान्यता है कि इस दिन की पूजा से भगवान सूर्य प्रसन्न होते हैं। रथ सप्तमी ( Rath Saptami ) की पूजा का महत्व और व्रत की कथा बहुत प्रसिद्ध हैं।
रथ सप्तमी कथा | Ratha Saptami Story
रथ सप्तमी महत्व ( Rath Saptami Mahatv )
रथ सप्तमी पूजा का मुहूर्त ( Ratha Saptami 2024 Pooja aur Muhurat )
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रथ सप्तमी व्रत कथा ( Ratha Saptami 2024 Vrat Katha )
रथ सप्तमी पूजन विधि व मंत्र ( Rath Saptami Pooja Vidhi aur Mantra )
रथ सप्तमी मंत्र ( Rath Saptami Mantra )
ॐ घृणि सूर्याय नम: । ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा।।
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रथ सप्तमी पूजा ( Ratha Saptami 2024 Pooja )
क्या खास है रथ सप्तमी में ? ( Kya khaas hain Ratha Saptami mein )
भगवान सूर्य भगवान विष्णु द्वारा रखे गए जल के बर्तन से निकले थे, जो दुनिया में प्रकाश और जीवन की शुरुआत का प्रतीक था। इसलिए, रथ सप्तमी सूर्य और उसकी जीवन देने वाली ऊर्जा के आगमन का जश्न मनाती है। सूर्य को स्वास्थ्य, समृद्धि और ज्ञान के स्रोत के रूप में पूजा जाता है।
रथ सप्तमी किस भगवान के लिए है? ( Rath Saptami kise bhagwan ke liye hain )
रथ सप्तमी पर किस मंदिर में जाएँ? ( Ratha Saptami par kise Mandir mein jaye )
रथ सप्तमी पर क्या खाएं? ( Rath Saptami par kya khaaye )
रथ सप्तमी पर हम क्या पका सकते हैं? ( Ratha Saptami par hum kya bana sakate hain )
हम रथ सप्तमी पर 108 सूर्य नमस्कार क्यों करते हैं? ( Hum Ratha Saptami par 108 Surya Namaskar kyu karate hain )
रथ सप्तमी में किस पत्ते का उपयोग किया जाता है? ( Ratha Saptami mein kise patte ka upayog kiya jaata hain )
रथ सप्तमी श्लोक | Ratha Saptami Sloka
सूर्य आरती | Surya Aarti
ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।
जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।
धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।
सारथी अरुण हैं प्रभु तुम, श्वेत कमलधारी। तुम चार भुजाधारी।।
अश्व हैं सात तुम्हारे, कोटि किरण पसारे। तुम हो देव महान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।
ऊषाकाल में जब तुम, उदयाचल आते। सब तब दर्शन पाते।।
फैलाते उजियारा, जागता तब जग सारा। करे सब तब गुणगान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।
संध्या में भुवनेश्वर अस्ताचल जाते। गोधन तब घर आते।।
गोधूलि बेला में, हर घर हर आंगन में। हो तव महिमा गान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।
देव-दनुज नर-नारी, ऋषि-मुनिवर भजते। आदित्य हृदय जपते।।
स्तोत्र ये मंगलकारी, इसकी है रचना न्यारी। दे नव जीवनदान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।
तुम हो त्रिकाल रचयिता, तुम जग के आधार। महिमा तब अपरम्पार।।
प्राणों का सिंचन करके भक्तों को अपने देते। बल, बुद्धि और ज्ञान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।
भूचर जलचर खेचर, सबके हों प्राण तुम्हीं। सब जीवों के प्राण तुम्हीं।।
वेद-पुराण बखाने, धर्म सभी तुम्हें माने। तुम ही सर्वशक्तिमान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।
पूजन करतीं दिशाएं, पूजे दश दिक्पाल। तुम भुवनों के प्रतिपाल।।
ऋतुएं तुम्हारी दासी, तुम शाश्वत अविनाशी। शुभकारी अंशुमान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।
ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।
जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।स्वरूपा।।
धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।