परशुराम जयंती वह दिन है जब भगवान परशुराम पृथ्वी पर प्रकट हुए थे। वे श्रीहरि विष्णु के छठे अवतार हैं। परशुराम जयंती 2024 ( Parshuram Jayanti 2024 ) की तारीख 10 मई है। उनका नाम ‘परशु’ और ‘राम’ से मिलकर आया है, जिसका अर्थ है – कुल्हाड़ी चलाने वाले राम। परशुराम अवतार का उद्देश्य था धर्म के मार्ग से भटके हुए क्षत्रियों का नाश करना और जो लोग धर्म के खिलाफ थे, उनके खिलाफ उत्पन्न अत्याचार का समाप्त करना और प्रकृति की सुरक्षा करना था। उन्होंने पृथ्वी पर धर्म की पुनर्स्थापना के लिए अपना जीवन समर्पित किया।
परशुराम जयंती पूजा ( Parshuram Jayanti Pooja )
2024 में परशुराम जयंती का आयोजन होने वाला है, जो हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। परशुराम जयंती को भगवान परशुराम के अवतार की मान्यता है, जो विष्णु के छठे अवतार के रूप में जाने जाते हैं। यह त्योहार हिंदू पंचांग में चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की दशमी को मनाया जाता है, जो इस साल 10 मई को है।
परशुराम जयंती को मनाने के लिए लोग अपने घरों को सजाकर, उसमें दिव्य और प्राचीन मूर्तियों की स्थापना करते हैं। पूजा के दौरान, भगवान परशुराम को विशेष उपहार और भोग अर्पित किए जाते हैं। लोग भगवान की आराधना और स्तुति करते हैं और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करने की कामना करते हैं। इस दिन कई स्थानों पर समाजिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं, जिसमें धार्मिक कार्यक्रम, सामुदायिक भोजन, और साधु-संतों के संग की कथाएँ शामिल होती हैं।
परशुराम जयंती के दिन लोग धार्मिक कार्यों में संलग्न होते हैं और भगवान परशुराम की कृपा का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इस दिन के अवसर पर धर्मिक प्रतिदिन की श्रद्धा और आदर्शों का अभ्यास किया जाता है, जो व्यक्ति को धार्मिक और आध्यात्मिक विकास में मदद करता है।
परशुराम जयंती का महत्व ( Importance of Parshuram Jayanti )
यह निडर ब्राह्मण योद्धा उन क्षत्रियों को दंड देने के लिए जाने जाते हैं, जिन्होंने अत्याचार किए। और इसलिए, यह दिन हिंदुओं के लिए खास धार्मिक महत्व रखता है। इस दिन भक्त अपने शत्रुओं पर विजय पाने के लिए भगवान परशुराम की पूजा करते हैं।
परशुराम जयंती क्यों मनाई जाती है? ( Bhagwan Parshuram Jayanti
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वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया पर भगवान विष्णु के अवतार परशुराम का जन्म हुआ था। भगवान परशुराम भार्गव वंश में जन्मे भगवान विष्णु के छठे अवतार हैं, उनका जन्म त्रेतायुग में हुआ था। माना जाता है कि इस दिन किया गया दान-पुण्य कभी क्षय नहीं होता। अक्षय तृतीया के दिन जन्म लेने के कारण ही भगवान परशुराम की शक्ति भी अक्षय थी।
परशुराम जयंती पर क्या करें? ( Parshuram Jayanti Par kya karen )
Parshuram Jayanti 2024 Puja Vidhi : वैशाख महीने की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि यानी अक्षय तृतीया के दिन परशुराम जयंती मनाई जाती है। यह दिन बेहद शुभ माना जाता है और इस दिन पूजा-पाठ और दान से लेकर खरीदारी तक का पुण्य फल प्राप्त होता है।
भगवान परशुराम का जन्म वैशाख तृतीय शुक्ला को एक ब्राह्मण ऋषि परिवार में हुआ था. भगवान परशुराम का जन्म स्थान मध्य प्रदेश के जानापाव पर्वत बताया जाता है. परशुराम के पिता का नाम जमदग्नि तथा इनकी माता का नाम रेणुका था. परशुराम श्री हरि विष्णु के छठे अवतार माने जाते हैं.
लोग परशुराम की पूजा क्यों नहीं करते? ( Log Parshuram ki Pooja kyu nahi karate )
हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, भगवान परशुराम ( Bhagwan Parshuram ) अन्य देवताओं के विपरीत, अभी भी पृथ्वी पर रहते हैं । इसलिए शिव, राम, कृष्ण और अन्य देवताओं की तरह परशुराम की पूजा नहीं की जाती है।
Parshuram Jayanti Image – Parshuram Jayanti Photo
parshuram ji
परशुराम ने किसकी पूजा की थी? ( Parshuram ne kiske pooja ki the )
परशुराम भगवान शिव के प्रति समर्पित थे। उनके पास अपार ज्ञान था और वह एक महान योद्धा थे। उनके जन्म के दिन को पूरे भारत में बड़े उत्साह और उमंग के साथ परशुराम जयंती 2024 ( Parshuram Jayanti ) के रूप में मनाया जाता है। इस दिन अन्य हवन, पूजा, भंडारे आदि के साथ-साथ परशुराम शोभा यात्रा का आयोजन किया जाता है।
परशुराम की मृत्यु कैसे हुई ( Parshuram Ki Mrityu Kaise hue )
भगवान परशुराम मृत्यु से मुक्त हैं। वह उन 7 चिरंजीवी में से हैं, जिन्हें हमेशा के लिए अमर माना जाता है। भगवान परशुराम को दशावतार से संबंधित भगवान विष्णु के छठे अवतार के रूप में जाना जाता है। परशुराम उस युग के सबसे क्रोधी ब्राह्मण या साधु कह सकतें हैं |
परशुराम जयंती तिथि ( Parshuram Jayanti Date )
परसुराम जयंती महर्षि परसुराम की जयंती के सम्मान में मनाई जाती है, जिन्हें हिंदू पौराणिक कथाओं में भगवान विष्णु का छठा अवतार माना जाता है। गुजरात, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान और हरियाणा राज्यों में यह 2024 में 10 मई, शुक्रवार को मनाया जाता है।