ऐसा क्या हुआ की स्वयं पंचमुखी हनुमान जी को भक्त चंदरशेखर के प्राणो को बचाने आना पड़ा...
शंकर सुवन केसरी नंदन तेज प्रताप महा जग वंदन॥॥
विद्यावान गुणी अति चातुर राम काज करिबे को आतुर॥॥
अथार्त:- शंकर के अवतार! हे केसरी नंदन आपके पराक्रम और महान यश की संसार भर में वन्दना होती है। आप प्रकान्ड विद्या निधान है, गुणवान और अत्यन्त कार्य कुशल होकर श्री राम के काज करने के लिए आतुर रहते है। आखिर ऐसा क्या हुआ जब स्वयं पंचमुखी हनुमान जी को आना पड़ा अपने परम भक्त प्रदीप के प्राणो को बचाने
