Khatu Shyam Mela 2024
लक्खी मेला क्या होता है ? ( Lakhi mela kya hota hai )
यह मेला शुक्ल पक्ष के अष्टमी तिथि से नवमी तिथि तक आयोजित किया जाता है, जो भगवान श्री खाटू श्याम जी के जन्म दिवस के अवसर पर होता है। इस मेले को लक्खी मेला ( Lakhi Mela ) के नाम से भी जाना जाता है। यह मेला भगवान श्री खाटू श्याम जी के भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सव के रूप में माना जाता है।
लक्खी मेला ( Lakhi Mela )
Khatu Shyam Mela : लक्खी मेला एक प्रमुख हिन्दू उत्सव है जो भारत के राजस्थान राज्य के खाटू श्याम मंदिर में मनाया जाता है। इसमें भक्तों की भीड़ लाखों तक पहुंचती है जो खाटू श्याम के दर्शन करने आती हैं। मेले में भगवान के चरणों में पूजा अर्चना की जाती है और धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, जिससे भक्तों का आत्मिक और मानसिक संतोष होता है।
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लक्खी मेला 2024 तिथि ( Lakhi Mela 2024 Tithi ) – Khatu Shyam Mela
लक्खी मेला 2024 की तिथि और समय बारे में स्थानीय संस्थानों और मंदिर पर निर्भर करता है। साधारणतः, लक्ष्मी मेला खाटू श्याम मंदिर में बड़े पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। पूजा और धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन दिनभर होता है, जिसमें भक्तगण भगवान श्याम के दर्शन करते हैं और उनकी अर्चना करते हैं।
खाटू श्याम की यात्रा कैसे करें? ( Khatu Shyam ki Yatra kaise karen )
अगर आप ट्रेन से यात्रा करना चाहते हैं तो आपको सबसे पहले अपने नजदीकी रेलवे स्टेशन से राजस्थान के जयपुर रेलवे स्टेशन पहुंचना होगा। जयपुर में रेलवे स्टेशन से निकलने के बाद आपको सिंधी बस स्टैंड जाना होगा जहां से खाटू श्याम मंदिर जाने के लिए सीधे बस और टैक्सी आसानी से मिल जाती है।
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रींगस से खाटू श्याम मंदिर कितना किलोमीटर? ( Ringas se Khatu Shyam kitana dur hain )
रींगस से खाटू श्याम की दूरी महज 18 किलोमीटर है।
खाटू श्याम में क्या चीज फेमस है? ( Khatu Shyam mein kya cheej prasid hain )
लोकप्रिय मान्यता के अनुसार, भक्त इस पवित्र सरोवर में बड़ी भक्ति के साथ डुबकी लगाकर अच्छे स्वास्थ्य का आनंद ले सकते हैं और सभी बीमारियों से खुद को ठीक कर सकते हैं। इसलिए जब भी आप श्याम मंदिर जाएं तो अगर कोई भक्त श्याम कुंड में डुबकी लगाते हुए मिल जाए तो उस नजारे को देखकर हैरान न हों।
खाटू श्याम की यात्रा कितने किलोमीटर है ( Khatu Shyam Ki Yatra kitane Kilometer hain )
खाटू श्याम से मिलने का ऐसा जुनून की हर महीने 1200 किलोमीटर की दूरी तय पैदल ही श्याम दरबार में पहुंच जाते है। 22 महीनों में करीब 29 हजार किलोमीटर की पदयात्रा कर चुके सीकर जिले के चंद्रप्रकाश जब चित्तौड़गढ़ पहुंचे तो श्याम भक्तों ने उनका स्वागत किया। चंद्रप्रकाश 23 से 24 दिनों में अपनी पदयात्रा पूरी कर लेते हैं।
खाटू श्याम यात्रा 2024 ( Khatu Shyam Yatra 2024 )
हर साल फाल्गुन माह में खाटू श्याम मंदिर में श्याम जी के जन्मदिन के अवसर पर मेले का आयोजन होता है, जिससे लक्खी मेले के नाम से जाना जाता है। इस साल 11 मार्च 2024 से लक्खी मेला शुरू हो रहा हैं । इस मेले में देश-दुनिया से लोग घूमने आते हैं।
जयपुर से खाटू श्याम के बीच कितनी दूरी है? ( Jaipur se Khatu Shyam kitana dur hain )
खाटू श्याम का मंदिर जयपुर से 80 किमी दूर खाटू गांव में मौजूद है। खाटू श्याम जी पहुंचने के लिए सबसे पास का रेलवे स्टेशन रिंगस है। जहां से बाबा के मंदिर की दूरी 18.5 किमी है। रेलवे स्टेशन से निकलने के बाद आप मंदिर के लिए टैक्सी और जीप ले सकते हैं।
मेहंदीपुर बालाजी से खाटू श्याम कितने किलोमीटर है ? ( Mehndipur Balaji se Khatu Shyam kitana kilometer hain )
मेहंदीपुर बालाजी से खाटू श्याम की दुरी 205 किलोमीटर है।
दिल्ली से खाटू श्याम कितने किलोमीटर है ? ( Delhi se Khatu Shyam kitne kilometer hain )
ट्रेन द्वारा नई दिल्ली से छोटी खाटू तक की दूरी 442 कि. मी. है।
खाटू श्याम जी क्यों प्रसिद्ध है? ( Khatu Shyam ji kyu prasid hain )
यह देवता कृष्ण और बर्बरीक की पूजा करने के लिए एक तीर्थ स्थल है, जिन्हें अक्सर कुलदेवता के रूप में पूजा जाता है। भक्तों का मानना है कि मंदिर में बर्बरीक या खाटूश्याम का सिर है, जो एक महान योद्धा थे, जिन्होंने कुरुक्षेत्र युद्ध के दौरान कृष्ण के अनुरोध पर अपने सिर का बलिदान दिया था।
खाटू श्याम जी को हारे का सहारा क्यों कहा जाता है? ( Khatu Shyam ji ko haare ka sahara kyu kaha jaata hain )
उनकी मां को यह आभास हुआ कि कौरवों की सेना अधिक होने के कारण पांडवों को युद्ध में परेशानी हो सकती है। इस पर बर्बरीक की मां ने उन्हें आज्ञा देते हुए ये वचन लिया कि वह युद्ध में हार रहे पक्ष का साथ देंगे। तभी से खाटू श्याम हारे का सहारा कहलाने लगे।
खाटू श्याम का इतिहास – खाटू श्याम बाबा की कहानी क्या है? ( Khatu Shyam ka Itihaas )
खाटू श्याम असल में भीम के पोते और घटोत्कच के बेटे बर्बरीक हैं। इन्हीं की खाटू श्याम के रूप में पूजा की जाती है। बर्बरीक में बचपन से ही वीर और महान योद्धा के गुण थे और इन्होंने भगवान शिव को प्रसन्न कर उनसे तीन अभेद्य बाण प्राप्त किए थे। इसी कारण इन्हें तीन बाण धारी भी कहा जाता है।
खाटू श्याम जी का मंदिर कौन से जिले में पड़ता है? ( Khatu Shyam Mandir kaun se jile mein padhata hain )
खाटूश्यामजी भारतीय राज्य राजस्थान के सीकर जिले का एक महत्वपूर्ण कस्बा है। यह खाटूश्यामजी के मन्दिर के लिए प्रसिद्ध है। बाबा खाटू श्याम जी का संबंध महाभारत कालीन बताया जाता है।
खाटू श्याम मंदिर कितना पुराना है? ( Khatu Shyam Mandir kitna purana hai )
मूल मंदिर 1027 ई. में रूपसिंह चौहान और उनकी पत्नी नर्मदा कँवर द्वारा बनाया गया था। मारवाड़ के शासक ठाकुर के दीवान अभय सिंह ने ठाकुर के निर्देश पर १७२० ई. में मंदिर का जीर्णोद्धार कराया।
बर्बरीक को तीन बाण कैसे मिले? ( Barbarik ko Teen baan kaise mile )
उन्होंने युद्ध-कला अपनी माता से सीखी। माॅं आदिशक्ति की तपस्या कर उन्होंने असीमित शक्तियों को भी अर्जित कर लिया तत्पश्चात् अपने गुरु श्रीकृष्ण की आज्ञा से उन्होंने कई वर्षों तक महादेव की घोर तपस्या करके उन्हें प्रसन्न किया और भगवान शिव शंकर से तीन अभेद्य बाण प्राप्त किए और ‘तीन बाणधारी’ का प्रसिद्ध नाम प्राप्त किया।