Original Hanuman Chalisa Kavach जातक को सभी प्रकार की बुरी शक्तियों से बचाता है। इस कवच को धारण करने से मनुष्य पिशाच योनि से बचा रहता है। यदि किसी भी यक्ति के ऊपर या उसके घर पे कोई काला जादू टोना कर रखा हो तो Hanuman Chalisa Kavach Locket धारण करने से उस नकारात्मक ऊर्जा का व्यक्ति पर कोई भी असर प्रभावी नहीं होता है।
Product Description:
- Size: 30 mm, Chain: 21 Inch
- Color: Golden
- Material: Rudraksha Origin:- Brass (Premium Quality)
- In the Box: 1 Hanuman Chalisa Kavach + 1 Chain
Key Points:
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Hanuman chalisa mantra [1]कलयुग की वो संजीवनी बूटी है जिसके उपयोग मात्र से मनुष्य के जीवन के सारे कष्ट खत्म हो जाते। माना जाता है की कलयुग मे अगर कोई हमारा कष्ट हरता है तो वो सिर्फ हनुमान जी है जिनको अमर माना गया है। पुराणों में बताया गया है कि जब जब कलयुग में प्राणियों पर कोई भी विपत्ति आएगी तो सिर्फ भगवान हनुमान जी रक्षा करेंगे। इसी तरह जातक को परेशानियों के समय हनुमान जी Hanuman Chalisa Kavach Locket को धारण करने वालों को दुखों से मुक्ति दिलाएंगे।
Original Hanuman chalisa kavach locket को गले मे पहनने से सारे गंभीर रोगों से मुक्ति मिलती है, अनहोनी की आशंका एकदम समाप्त हो जाती है तथा किसी भी तरह की नकारात्मक ऊर्जा पास नहीं आती है। हमारे पुराणों में दिया गया है कि त्रेता युग में भगवान श्री राम ने रावण का संहार करने के लिए Hanuman Chalisa Kavach का पाठ करके हनुमान कवच की उत्पत्ति की थी जिसके प्रभाव से प्रभु श्रीराम ने रावण सहित पूरी लंका का संहार किया था।
1. hanuman locket धारण करने से दरिद्रता से मुक्ति मिलती है तथा उन्नति का मार्ग तैयार होता है।
2. गंभीर बीमारी से निजात मिलती है और शरीर में ऊर्जा आती है।
3. Shree Hanuman Chalisa कवच को धारण करने से बुरे सपने नहीं आते है।
4. रुके हुए सभी कार्यों को गति मिलती है एवं नये कार्यों में सफलता हाथ आती है।
5. जादू-टोने का असर एकदम शून्य रहता है।
6. Shree Hanuman Chalisa कवच कुंडली में मौजूद दोषों के असर को कम करने का कार्य करता है।
किसी भी कार्य को पूर्ण करने की एक विधि होती है इसी तरह से Original Hanuman chalisa kavach locket को भी पूरे विधि विधान से धारण करना चाहिए।
1. इसको धारण करने के लिए सबसे शुभ दिन मंगलवार को माना गया है। मंगलवार को स्नान करके पीले या लाल वस्त्र पहन कर प्रातः में किसी भी हनुमान मंदिर में जाना चाहिए।
2. मंदिर मे आने के पश्चात् गंगा जल का छिड़काव करें और हनुमान जी की तरह मुख कर के बैठ जाएँ।
3. चमेली के तेल का दीपक जलाएं और मुट्ठी में फूल, चावल लेकर हनुमान जी का ध्यान करें।
4. सिन्दूर मे चमेली का तेल मिला कर यंत्र को लपेट ले और 108 बार हनुमान चालीसा कवच मंत्र ”श्री हनुमंते नमः” का जाप करें।
5. Shree Hanuman Chalisa Kavach को गंगा जल से धोने के बाद इसे धारण कर ले और प्रसाद बाँट दे।
कहते हैं हनुमान चालीसा में अद्भुत शक्तियां होती है जो सभी के दुःख दर्द दूर रखने का सामर्थ्य रखती हैं। हनुमान जी का जो भी भक्त हनुमान चालीसा का सच्चे मन से लगातार 7 बार पाठ करता है उसकी हर मनोकामना पूर्ण होती है। इसके लिए हनुमान चालीसा का पाठ सूर्य देव के सामने या प्रभु श्री राम की प्रतिमा के सामने करे। कुछ ही दिनों में आपको असर दिखना शुरू हो जाएगा।
वैसे तो संकटमोचक हनुमान अपने भक्तों की हर समस्या को दूर करते हैं परन्तु हनुमान चालीसा का विशेष रूप से पाठ तब किया जाता है जब यदि आपको बार-बार बुरे सपनें आ रहे हैं, हर समय मन में भय बना रहता है, भूत-प्रेत सता रहे हैं या फिर तंत्र-मंत्र के बुरे प्रभाव आप पर हावी हैं तो ऐसी परिस्थितियों में आपको अवश्य ही हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए।
हनुमान चालीसा पढ़ने का समय सूर्योदय से पहले होता है। दूसरे शब्दों में कहें तो चालीसा को ब्रह्ममुहूर्त में पढ़ना शुभ माना जाता है।
हनुमान चालीसा को सिद्ध करने के लिए 21 दिनों की नियमितता बहुत आवश्यक है। 21 दिनों में सच्चे मन से विधिपूर्वक की गई साधना के बाद ही चालीसा को सिद्ध किया जा सकता है।
1. मंगलवार के दिन ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नानादि क्रिया से निवृत हो जाएँ।
2. हनुमान जी की प्रतिमा को पूजा घर में स्थापित करें।
3. चालीसा पाठ करने से पूर्व भगवान गणेश की पूजा की जानी चाहिए।
4. इसके पश्चात प्रभु श्री राम और सीता माता का ध्यान करें।
5. अब हनुमान जी का ध्यान कर संकल्प ले और चालीसा पाठ शुरू करें।
6. जब हनुमान चालीसा पाठ पूर्ण कर ले और फिर प्रभु श्री राम का ध्यान करें।
7. फिर हनुमान जी को भोग में बूंदी के लड्डू और मौसमी फल अर्पित करें।
हनुमान जी ब्रह्मचारी थे इसलिए हनुमान जी की पूजा के संबंध में ऐसा कहा जाता है कि केवल पुरुष ही उनकी पूजा कर सकते हैं। हालाँकि महिलाएं हनुमान जी की पूजा में गूग्गल की धूनी रमाकर, हनुमान चालीसा का पाठ कर, हनुमान अष्ट और सुंदरकांड का पाठ कर तथा भोग प्रसाद अपने हाथों से बनाकर अपना योगदान दे सकती हैं।