हिन्दू धर्म में गोदावरी का महत्व ( Significance of Godavari in Hindu Religion )
भारत में पर्यावरण को प्राचीन काल से पूजे जाने की प्रथा चली आ रही है। पूजा किये जाने के पीछे कोई न कोई पौराणिक कथा जुड़ी हुई है। लोगों के जीवन में अहम भूमिका अदा करने वाली नदियां न जाने कितनी ही सदियों से लोगों की आवश्यकताओं की पूर्ति कर रहीं है। समय बदलता रहा पर नदियों ने अपना रुख कभी नहीं बदला। गोदावरी (Godavari) भी इन्हीं नदियों में शामिल है। Godavari को दक्षिण भारत की गंगा के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि यह दक्षिण क्षेत्र की सबसे प्रमुख नदियों में से एक है। गोदावरी महाराष्ट्र के नासिक जिले में अवस्थित त्रयम्बक पहाड़ी से निकलती है।
गोदावरी का जन्म कैसे हुआ? (How and Where did Godavari River born?)
Godavari Story in hindi :
गोदावरी (Godavari)को गंगा की बहन भी माना जाता है। गोदावरी के तट पर अवस्थित त्रयंबकेश्वर मंदिर में 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक ज्योतिर्लिंग विराजमान है। बता दें कि त्रयंबकेश्वर मंदिर (Trimbakeshwar Shiva Temple) ब्रह्मगिरि की पहाड़ी पर मौजूद है, ब्रह्मगिरि को भगवान शिव (Lord Shiva) का ही एक रूप माना जाता है।
गौतम ऋषि (Gautam rishi) गंगा नदी (Ganga River) को ब्रह्मगिरि लेकर आये थे, इस संबंध में एक पौराणिक कथा काफी प्रचलित है। गौतम ऋषि के आश्रम में कई सारे ब्राह्मण अपनी पत्नियों समेत निवास करते थे एक बार किसी कारण से सभी ब्राह्मणों की सभी पत्नियां गौतम ऋषी की पत्नी अहिल्या से नाराज़ हो गईं। उन्होंने अपनी नाराज़गी अपने-अपने पतियों को सुनाई और गौतम ऋषि का अपकार करने के लिए कहा। सभी ब्राह्मणों ने इसके लिए भगवान् गणेश की उपासना की।
सभी ब्राह्मणों की उपासना से प्रसन्न होकर गणेश जी प्रकट हुए और उन्होंने वरदान मांगने को कहा। ब्राह्मणों ने ऋषि गौतम को आश्रम से बाहर निकालने का वरदान माँगा। यह वर सुन गणेश जी ने सभी को समझाने का प्रयास किया पर ब्राह्मण अपनी बात पर अड़े रहे। यह देख गणेश जी को उन ब्राह्मणों की बात माननी ही पड़ी।
ऋषि गौतम को आश्रम से निकालने के लिए उन्होंने एक दुर्बल गाय का भेष धारण किया। गाय आश्रम के निकट आकर फसल चरने लगी। गाय को फसल चरते देख ऋषि गौतम तृण लेकर गाय को हांकने के लिए पहुंचे। जैसे ही उन्होंने वह तृण धीमे से गाय को स्पर्श किया वह गाय मरकर गिर गई।
यह देख सभी ब्राह्मण एकजुट हुए और ऋषि गौतम को गो हत्यारा कहने लगे। इसके बाद उन ब्राह्मणों ने ऋषि गौतम और अहिल्या को वहां से जाने के लिए विवश कर ही दिया। साथ ही यह भी कहा कि गोहत्या करने के कारण अब तुम्हें वेदों का पाठ करने का भी कोई अधिकार नहीं है। ब्राह्मणों की बात सुनकर ऋषि गौतम ने उनसे गोहत्या जैसे पाप से मुक्ति पाने का उपाय माँगा।
इसके उपाय के तौर पर गौतम ऋषि को तीन बार पृथ्वी की परिक्रमा करने, एक महीने तक व्रत करने और 101 बार ब्रह्मगिरि की परिक्रमा करने के लिए कहा गया और या फिर यहाँ गंगाजी को लाकर उनके जल से स्नान कर एक करोड़ पार्थिव शिवलिंगों से भगवान् शिव की आराधना करने के बाद फिर से गंगा में स्नान कर ब्रह्मगिरि (Brahmagiri) के 11 बार परिक्रमा करने के लिए कहा।
साथ ही यह भी कहा कि 11 बार ब्रह्मगिरि की परिक्रमा करने के पश्चात 100 घड़ों के जल से शिवलिंग (Shivling) का जलाभिषेक करने के लिए भी कहा गया। इस तरह गोहत्या के अपराध से मुक्त होने के लिए गौतम ऋषि गंगा को ब्रह्मगिरि पहाड़ी पर लेके आये। जिन्हें Godavari nadi के नाम से जाना गया।
Trimbakeshwar Jyotirlinga के रूप में यहीं पर विराजमान हो गए भगवान शिव
ब्राह्मणों के कहे अनुसार ऋषि गौतम ने अपने सारे कार्य पूर्ण किये और अपनी पत्नी अहिल्या के साथ भगवान् शिव की आराधना करने के लिए बैठ गए। ऋषि गौतम की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान् शिव प्रकट हुए और वर मांगने को कहा। वरदान के रूप में गौतम ऋषि ने माँगा कि उन्हें गोहत्या के पाप से मुक्त कर दिया जाए।
यह सुन भगवान् शिव (Lord Shiva) ने कहा कि हे! ऋषि गौतम तुम पर छल कर गोहत्या का आरोप लगाया गया था। तुम सर्वथा निष्पाप हो! और जिन ब्राह्मणों ने तुम पर यह आरोप लगाया है मैं उन्हें दंड देना चाहता हूँ। यह सुनकर ऋषि बोले कि हे! भोलेनाथ उन्हीं ब्राह्मणों के छल के कारण ही मुझे आपके दर्शन प्राप्त हुए हैं इसलिए आप उन सभी को माफ़ कर दें और यहाँ सदैव के लिए स्थापित हो जाएँ।
गौतम ऋषि (Gautam rishi) गंगा नदी (Ganga River) को ब्रह्मगिरि लेकर आये थे, इस संबंध में एक पौराणिक कथा काफी प्रचलित है। गौतम ऋषि के आश्रम में कई सारे ब्राह्मण अपनी पत्नियों समेत निवास करते थे एक बार किसी कारण से सभी ब्राह्मणों की सभी पत्नियां गौतम ऋषी की पत्नी अहिल्या से नाराज़ हो गईं। उन्होंने अपनी नाराज़गी अपने-अपने पतियों को सुनाई और गौतम ऋषि का अपकार करने के लिए कहा। सभी ब्राह्मणों ने इसके लिए भगवान् गणेश की उपासना की।
सभी ब्राह्मणों की उपासना से प्रसन्न होकर गणेश जी प्रकट हुए और उन्होंने वरदान मांगने को कहा। ब्राह्मणों ने ऋषि गौतम को आश्रम से बाहर निकालने का वरदान माँगा। यह वर सुन गणेश जी ने सभी को समझाने का प्रयास किया पर ब्राह्मण अपनी बात पर अड़े रहे। यह देख गणेश जी को उन ब्राह्मणों की बात माननी ही पड़ी।
ऋषि गौतम को आश्रम से निकालने के लिए उन्होंने एक दुर्बल गाय का भेष धारण किया। गाय आश्रम के निकट आकर फसल चरने लगी। गाय को फसल चरते देख ऋषि गौतम तृण लेकर गाय को हांकने के लिए पहुंचे। जैसे ही उन्होंने वह तृण धीमे से गाय को स्पर्श किया वह गाय मरकर गिर गई।
यह देख सभी ब्राह्मण एकजुट हुए और ऋषि गौतम को गो हत्यारा कहने लगे। इसके बाद उन ब्राह्मणों ने ऋषि गौतम और अहिल्या को वहां से जाने के लिए विवश कर ही दिया। साथ ही यह भी कहा कि गोहत्या करने के कारण अब तुम्हें वेदों का पाठ करने का भी कोई अधिकार नहीं है। ब्राह्मणों की बात सुनकर ऋषि गौतम ने उनसे गोहत्या जैसे पाप से मुक्ति पाने का उपाय माँगा।
इसके उपाय के तौर पर गौतम ऋषि को तीन बार पृथ्वी की परिक्रमा करने, एक महीने तक व्रत करने और 101 बार ब्रह्मगिरि की परिक्रमा करने के लिए कहा गया और या फिर यहाँ गंगाजी को लाकर उनके जल से स्नान कर एक करोड़ पार्थिव शिवलिंगों से भगवान् शिव की आराधना करने के बाद फिर से गंगा में स्नान कर ब्रह्मगिरि (Brahmagiri) के 11 बार परिक्रमा करने के लिए कहा।
साथ ही यह भी कहा कि 11 बार ब्रह्मगिरि की परिक्रमा करने के पश्चात 100 घड़ों के जल से शिवलिंग (Shivling) का जलाभिषेक करने के लिए भी कहा गया। इस तरह गोहत्या के अपराध से मुक्त होने के लिए गौतम ऋषि गंगा को ब्रह्मगिरि पहाड़ी पर लेके आये। जिन्हें Godavari nadi के नाम से जाना गया।
Trimbakeshwar Jyotirlinga के रूप में यहीं पर विराजमान हो गए भगवान शिव
ब्राह्मणों के कहे अनुसार ऋषि गौतम ने अपने सारे कार्य पूर्ण किये और अपनी पत्नी अहिल्या के साथ भगवान् शिव की आराधना करने के लिए बैठ गए। ऋषि गौतम की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान् शिव प्रकट हुए और वर मांगने को कहा। वरदान के रूप में गौतम ऋषि ने माँगा कि उन्हें गोहत्या के पाप से मुक्त कर दिया जाए।
यह सुन भगवान् शिव (Lord Shiva) ने कहा कि हे! ऋषि गौतम तुम पर छल कर गोहत्या का आरोप लगाया गया था। तुम सर्वथा निष्पाप हो! और जिन ब्राह्मणों ने तुम पर यह आरोप लगाया है मैं उन्हें दंड देना चाहता हूँ। यह सुनकर ऋषि बोले कि हे! भोलेनाथ उन्हीं ब्राह्मणों के छल के कारण ही मुझे आपके दर्शन प्राप्त हुए हैं इसलिए आप उन सभी को माफ़ कर दें और यहाँ सदैव के लिए स्थापित हो जाएँ।
गोदावरी नदी से जुड़ी ख़ास बातें ( Interesting facts about Godavari River )
ऐसी मान्यता है कि कुशावर्त तीर्थ में Godavari river में डुबकी लगाने से व्यक्ति पापों से मुक्त हो जाता है। बता दें कि त्रयंबकेश्वर के बाद और नासिक से पहले यहाँ एक चक्रतीर्थ नामक कुंड है इसी स्थान से गोदावरी एक नदी के रूप में असल में दिखाई पड़ती है इसलिए इस स्थान को भी गोदावरी का उद्गम स्थल माना जाता है।
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