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    Original Pukhraj (Topaz) Ring Online

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    पुखराज पहनने के फायदे
    पुखराज बृहस्पति ग्रह का रत्न होता है इसलिए यह रत्न धारण करने से धन-संपत्ति में वृद्धि होती है। बृहस्पति की प्रतिकूल स्थिति के कारण जिनके विवाह में रुकावटे आ रही हैं,
    स्थिति के कारण जिनके विवाह में रुकावटे आ रही हैंं, उनके लिए पुखराज धारण करना फायदेमंद रहता है। इस रत्न को धारण करने से कमजोर पाचन में भी फायदा मिलता है।
    इसके अलावा आध्यात्मिक वा धार्मिक विषयों में रुचि रखने वालों के लिए भी पुखराज फायदेमंद रहता है।

     

     

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    पुखराज को पहनने के क्या नियम व विधि हैं ?
    पुखराज को हमेशा स्वर्ण धातु में पहनना चाहिए। रत्न के वजन का ध्यान रखना भी बेहद आवश्यक होता है। कम से कम सात कैरेट के पुखराज को सोने की अंगूठी में धारण करना
    चाहिए। इस ब्रहस्पति के रत्न को बृहस्पतिवार के दिन और पुष्य नक्षत्र में धारण करना शुभ रहता है। पुखराज रत्न की पंचामृत यानी गंगाजल, घी, दूध, शहद, शक्कर में स्नान करा
    कर फिर हल्दी व पीले पुष्प अर्पित कर ‘ ऊं ब्रह्म ब्र्हस्पतये नमः’ मंत्र को 108 बार बोलते हुए बृहस्पतिदेव का ध्यान करते हुए , पुखराज को तर्जनी उंगली में धारण कर लेना चाहिए।

    कौन सी राशि के लोग पुखराज को धारण कर सकते हैं ?
    मिथुन, कन्या, वृषभ राशि के जातकों के लिए पुखराज रत्न पहनना शुभ होता है। धनु व मीन राशि वालों की भाग्यवृद्धि के लिए यह रत्न बहुत उपयोगी माना गया है।
    साथ ही वृष, मिथुन, कन्या, तुला, मकर व कुम्भ लग्न वाले लोगों को पुखराज नहीं पहनना चाहिए। रत्न को राशि के अनुसार पहनना ही उत्तम माना गया है।
    पुखराज को हमेशा कुंडली में बृहस्पति की स्थिति के अनुसार ही धारण करना चाहिए।

    पुखराज अपना असर कितने दिन में दिखता हैं?
    बृहस्पति के अच्छे प्रभावों को प्राप्त करने के लिए उच्च कोटि का सिलोनी पुखराज ही धारण करें, पुखराज धारण करने के 30 दिनों में प्रभाव देना आरम्भ कर देता है
    और लगभग 4 वर्ष तक पूर्ण प्रभाव देता है और फिर निष्क्रिय हो जाता है ! निष्क्रिय होने के बाद आप पुन: नया पुखराज धारण कर सकते है।

    पुखराज रत्न कहा पाया जाता हैं ?
    यह जापान,ब्राज़ील,मक्सिको,रूस श्रीलंका जैसे अनेक देशों मैं पाया जाता है। बर्मा की खानों से निकला हुआ पुखराज श्रेष्ठ माना जाता हैं।

    असली पुखराज की पहचान कैसे करे ?
    रत्न को दिन की रोशनी में देखें और ये चेक करें कि रत्न में कहीं कोई दरार या अशुद्धि तो नहीं है। अगर रत्न बहुत ज्यादा चमकदार है तो वह नकली है। यदि रत्न छूने में सख्त है
    तो वह असली नहीं है। चेक करें कि आपका रत्न पारदर्शी है या नहीं। इसके लिए आप रत्न के ऊपर रोशनी डालकर देखें कि रोशनी आर-पार हो रही है या नहीं।
    यदि रत्न पर उंगलियों का निशान बन जाना है तो इसका मतलब है कि आपका रत्न असली नहीं है।

    पुखराज को धारण करने से क्या लाभ हैं ?
    पुखराज को पहनने से मन को शांति प्राप्त होती है जिससे इंसान सही निर्णय ले पाता है। कहा जाता है कि पुखराज अगर घर या पैसे के स्थान पर रख दें तो इससे समृद्धि आती है।
    यह व्यक्ति को लक्ष्य को प्राप्त करने के योग्य बनाता है। अविवाहित जातकों को विवाह सुख, वैवाहिक जातकों को संतान सुख प्रदान करता है।
    इस रत्न को धारण करने से धन-वैभव की प्राप्ति होती है।

    पुखराज कब पहनना चाहिए ?
    पुखराज को धारण करने के लिए सबसे शुभ दिन एकादशी या फिर बृहस्‍पतिवार का माना गया है। इस रत्‍न को सोने की अंगूठी में इस तरह से जड़वाएं कि यह पहनने पर पीछे
    से आपकी त्‍वचा को स्‍पर्श करे। गुरुवार के दिन सुबह स्‍नान करने के बाद इस अंगूठी को दूध और गंगाजल में डालें और फिर इसको शहद से स्‍नान करवाएं।

    पुखराज किस गृह का रतन होता हैं ?
    पुखराज बृहस्पति ग्रह का रत्न होता है इसलिए यह रत्न धारण करने से धन-संपत्ति में वृद्धि होती है।

    बृहस्पति कमजोर होने से क्या होता हैं ?
    ज्योतिष कहता है कि गुरु यानी बृहस्पति जब कुंडली में कमजोर स्थिति में होते हैं तो अशिभ फल देना शुरू कर देत हैं।
    ऐसे में व्यक्ति के संस्कार कमजोर होते हैं। पढ़ाई लिखाई के साथ साथ पैसे को कमाने में बाधा आती है और व्यक्ति को बड़ों का सहयोग पाने में मुश्किलें आती हैं।

    बृहस्पति गृह को कैसे मजबूत करे ?
    बृहस्पति गृह को मजबूत करने के लिए PUKHRAJ RING को धारण करे।
    बृहस्पतिवार का व्रत करना चाहिए।
    बृहस्पतिवार को ओम ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरवे नम: मंत्र का जाप मंत्र का जाप 3, 5 या 16 माला कर सकते हैं।
    नियमित रूप से भोजन में बेसन, चीन और घी से बने लड्डू का सेवन करना चाहिए। ये सब गुरु के कारक हैं।
    गुरुवार को लक्ष्मी नारायण की पूजा करें।

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