हिन्दू धर्म में धनतेरस के त्यौहार का विशेष महत्व है हम हर साल दिवाली से ठीक 2 दिन पहले Dhan teras | धनतेरसका पर्व बड़े ही धूम धाम से मनाते है और लोग इस मौके पर जमकर खरीदारी करते है। इस त्यौहार के दिन हम आम तौर पर बाजार से सोना चांदी और बर्तन इत्यादि खरीदते है लेकिन ऐसा क्यों किया जाता है इसके पीछे एक बेहद रोचक कहानी है जिसका जिक्र कई धर्म ग्रंथो में किया गया है लेकिन इसके बावजूद भी इस कहानी की जानकारी बेहद कम लोगो को है।
Dhan teras | धनतेरस के मौके पर सोना चांदी और बाकी खरीदारी करने के पीछे की असली मान्यता के बारे में बताएंगे जिसके बारे में जानकर आप भी हैरान हो सकते है।
आमतौर पर कहा जाता है की इस दिन भगवान विष्णु के अंशावतार भगवान धन्वंतरि समुन्द्र मंथन के दौरान अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे इसलिए उनके जन्म दिवस को धनतेरस के पर्व के रूप में मनाया जाता है। धनतेरस से जुडी ये कहानी हकीकत है लेकिन इस कहानी का धनतेरस के पर्व पर सोना चांदी और बर्तन आदि खरीदे जाने से कोई लेना देना नहीं है। धनतेरस के मौके पर सोना चांदी खरीदना क्यों आवश्यक है इसके पीछे पुराणों में एक अलग कहानी का वर्णन है।
पुराणों के अनुसार जब दैत्य राज बलि ने स्वर्ग के साथ साथ सम्पूर्ण सृष्टि पर कब्जा कर लिया था और देवताओं से उनका सब कुछ छीन लिया था तो देवतागण लाचार होकर विष्णु जी पास पहुंचे। उन्होंने राजा बलि और असुरों के आतंक की सारी कहानी विष्णु जी को बताई। तब विष्णु भगवान ने देवताओं को राजा बलि के आतंक से मुक्त कराने का वचन दिया और वामन अवतार लेने का फैसला किया। वामन अवतार लेकर जब विष्णु जी राजा बलि के पास पहुंचे तो उस समय असुर राज बलि यज्ञ कर रहे थे। उन्होंने वामन अवतार विष्णु जी को देखा और उन्हें साधारण ब्रह्मण समझने की गलती कर बैठे। बलि ने ब्रह्मण के वेश में वामन अवतार लेकर उनके पास आए विष्णु जी का खूब आदर सत्कार किया और जाते समय उन्हें दक्षिणा में कुछ मांगने के लिए कहा।
विष्णु भगवान ने पहले तो राजा बलि से ये कहकर दक्षिणा लेने से इंकार कर दिया की उन्हें जो चाहिए वो राजा बलि उन्हें नहीं दे पाएंगे लेकिन जब राजा बलि ने विष्णु जी को बालक समझकर उनसे कहा की वे इस पूरी सृष्टि के मालिक है और इस सृष्टि में ऐसा कुछ भी नहीं है जो वे उन्हें नहीं दे सकते।
तब वामन अवतार विष्णु जी ने राजा बलि से 3 कदम भूमि मांगी। विष्णु जी की ये मांग सुनकर जब राजा बलि हसने लगे तो विष्णु जी ने अपना वास्तविक रूप धारण करना शुरू किया और पहले कदम में पूरी धरती और दूसरे कदम में संपूर्ण आकाश नाप लिया और जब विष्णु जी ने तीसरा कदम रखने के लिए राजा बलि से जगह मांगी तो उन्होंने अपना सर भगवान विष्णु के सामने झुका दिया और फिर भगवान विष्णु ने अपना तीसरा कदम राजा बलि के सर पर रखा जिसके चलते राजा बलि पाताल में चले गए और भगवान विष्णु ने उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर उन्हे पाताल लोक का राजा बना दिया।
भगवान विष्णु ने असुर राज बलि के अत्याचारों से जब देवताओं को मुक्ति दिलाई तो वो दिन भी कार्तिक माह की त्रयोदशी का ही दिन था। इस दिन बलि द्वारा लूटी गई देवताओं की सारी धन संपत्ति उनके पास वापिस आ गई और तभी से असुरों पर देवताओं की इस जीत को धन तेरस के पर्व के रूप में मनाया जाने लगा और तभी से लेकर आज तक ये प्रथा चली आ रही है की धन तेरस के दिन सोने चांदी को इतना अधिक महत्व दिया जाता है और दीवाले से ठीक पहले मनाए जाने वाले इस त्योहार के मौके पर बाजार में जमकर खरीदारी की जाती है।
क्या धन तेरस के मौके पर सोना, चांदी और बर्तन आदि खरीदे जाने के पीछे की इस कहानी के बारे में आपको पहले से पता था ? और इस धन तेरस के मौके पर आप क्या क्या खरीदने वाले है हमे कमेंट में जरूर बताएं।
Dhanteras पर हम sterling silver pendent भी खरीद सकतें है
Dhan teras | धनतेरस कब है 2023
इस बार धनतेरस 2023 तिथि- शुक्रवार 10 नवंबर को मनाया जाएगा.
Dhan teras | धनतेरस 2023 puja vidhi
इस साल धनतेरस पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 5:47 बजे से शाम 7:43 बजे तक रहेगा।
क्या हम Dhan teras | धनतेरस पर पैसे दे सकते हैं?
धन को भी लक्ष्मी का स्वरूप माना गया है. इसलिए धनतेरस के दिन किसी भी व्यक्ति को पैसा उधार नहीं देना चाहिए और न ही पैसा उधार लेना चाहिए.
Dhan teras | धनतेरस के दिन सुबह उठकर क्या करना चाहिए?
- धनतेरस के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर पूजा की तैयारी करें।
- घर में पूजा का स्थान ईशान कोण में ही बनाएं।
- प्रसाद या नैवेध पूजा समाप्त होने के बाद प्रसाद या नैवेद भोग अर्पित करें।
Dhan teras | धनतेरस पर क्या खरीदना चाहिए?
धनतेरस पर सोना, चांदी, गोमती चक्र, पीतल के बर्तन, धनिया, झाड़ू आदि खरीदना शुभ माना गया है. मान्यता है कि ऐसा करने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं. अपना आशीर्वाद सदा बनाए रखती हैं.