विजया एकादशी | Vijaya Ekadashi
एकादशी का व्रत जितना कठिन माना जाता है, उतना ही फलदायक होता है। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है और इसका पालन मोक्ष की प्राप्ति में मदद करता है। एकादशी का व्रत ( Ekadashi ka Vrat ) रखने से व्यक्ति में संयम का विकास होता है। सनातन धर्म के अनुसार, एक साल में 24 एकादशी आती है, जिनमें से विजया एकादशी ( Vijaya Ekadashi ) को विशेष महत्व दिया जाता है। इसे विजय दिलाने वाली एकादशी माना जाता है, जैसा कि विजया दशमी को भी माना जाता है। इस एकादशी को भगवान विष्णु को समर्पित किया जाता है और इसका व्रत रखने वाले व्यक्ति को पूरे दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करनी होती हैं ताकि उन्हें शुभ फल प्राप्त हो सकें। 2024 में यह एकादशी ( Ekadashi ) 6 मार्च को प्रारंभ होकर 7 मार्च को समाप्त होगी। इस व्रत का पारण 7 मार्च को किया जाएगा।
विजया एकादशी : तिथि, मुहूर्त और पारण
एकादशी व्रत का समापन करने को ‘पारण’ कहा जाता है। साधारणतः, व्रती उसी दिन संध्या/रात्रि में कुछ सात्विक भोजन करके व्रत को समाप्त कर लेते हैं, लेकिन एकादशी व्रत का पारण अगले दिन सूर्योदय के बाद और सूर्यास्त से पहले किया जाता है। मान्यता है कि द्वादशी तिथि के भीतर पारण नहीं करना पाप के समान होता है। पारण के समय भगवान विष्णु का ध्यान करना चाहिए। विजया एकादशी का व्रत अत्यंत शुभ फलदायक होता है। भगवान श्री विष्णु के आशीर्वाद के लिए विजया एकादशी का व्रत ( Vijaya Ekadashi ka Vrat ) सम्पूर्ण विधि-विधान के साथ जरूर करें।
विजया एकादशी का महत्व ( Vijaya Ekadashi ka Mahatv )
विजया एकादशी का महत्व – विजया एकादशी ( Vijaya Ekadashi ) को लेकर मान्यता है कि इस व्रत को रखने से व्यक्ति को विजय मिलती है। लंका विजय करने की कामना से बकदाल्भ्य मुनि के आज्ञानुसार समुद्र के तट पर भगवान राम ने इसी एकादशी का व्रत किया था। जिसके प्रभाव से रावण का वध हुआ और भगवान रामचंद्र की विजय हुई।
विजया एकादशी व्रत कथा ( Vijaya Ekadashi Vrat Katha )
विजया एकादशी व्रत कथा (Vijaya Ekadashi Vrat Katha) ऐसी मान्यता है कि भगवान श्रीराम ने लंका पर आक्रमण करने से पहले अपनी पूरी सेना के साथ इस व्रत को रखा था. कथा के अनुसार श्रीराम अपनी सेना के साथ जब माता सीता को बचाने और रावण से युद्ध करने समुद्रतट पर पहुंचे तो अथाह समुद्र को देखकर चिंतित हो गए.
विजया एकादशी 2024 पूजन विधि ( Vijaya Ekadashi 2024 Poojan Vidhi )
- विजय एकादशी ( Vijaya Ekadashi ) के एक दिन पहले एक शुद्ध स्थान बनाएं और उस पर सप्त अनाज रखें।
- विजया एकादशी के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठें इसके बाद पूजा का मंदिर अच्छे से स्वच्छ कर लें। फिर उसपर सप्त अनाज रखें।
- एकादशी के दिन, एक कलश में पंचपल्लव (पीपल, गूलर, अशोक, आम और वट) रखकर श्री विष्णु की मूर्ति स्थापित करें।
- धूप, दीप, चंदन, फूल, फल और तुलसी के साथ प्रभु का पूजन करें, विधि के अनुसार।
- व्रती को पूरे दिन भगवान की कथा सुननी चाहिए और श्रवण करना चाहिए।
- रात्रि में कलश के सामने बैठकर जागरण करें।
- द्वादशी के दिन कलश को उचित ब्राह्मण या पंडित को दान में दें।
- द्वादशी के दिन सात्विक भोजन के साथ एकादशी व्रत का पारण करें।
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2024 में विजया एकादशी कब है ? ( Vijaya Ekadashi 2024 mein kab hain )
2024 में विजया एकादशी ( Vijaya Ekadashi ) 6 मार्च को प्रारंभ होकर 7 मार्च को समाप्त होगी। इस व्रत का पारण 7 मार्च को किया जाएगा।
विजया एकादशी कैसे करते हैं? ( Vijaya Ekadashi kaise karate hain )
विजया एकादशी व्रत में क्या खाना चाहिए? ( Vijaya Ekadashi Vrat mein kya khaana chahiye )
- जल और अन्न के बीना नहीं रह सकते तो फलाहार कर सकते हैं और जल पी सकते हैं।
- बालक, वृद्ध और रोगी व्रत न करें।
- चावल न बनाएं और न हीं खाएं।
विजया एकादशी के नियम ( Vijaya Ekadashi ke Niyam )
- एकादशी के दिन चावल नहीं खाना चहिए
- एकादशी व्रत वाले दिन झूठ और किसी को बुरा बोलने से बचना चाहिए
- एकादशी के दिन मांस-मदिरा, लहसुन और प्याज से दूर रहना चाहिए
- एकादशी व्रत में रात में सोना नहीं चाहिए।
- एकादशी वाले दिन पूरी रात विष्णु जी का मंत्र जाप और जागरण करना चाहिए