हम सभी जानते हैं कि पवनपुत्र हनुमानजी बाल ब्रह्मचारी थे।
इसी वजह से उनका एक पुत्र होने की बात पर आश्चर्य होना स्वभाविक है।
वाल्मीकि रामायण में इससे संबंधित एक प्रसंग का वर्णन भी मिलता है।
जब पाताल लोक के असुरराज अहिरावण ने प्रभु राम और लक्ष्मण को बंदी बना लिया था।
तब हनुमान जी प्रभु राम और लक्ष्मण को खोजते हुए पाताल लोक पहुंच गए।
वहां उन्होंने अपने जैसे पहरेदार को देखकर अचंभित हो गए।
हनुमान जी की तरह दिखाई देने वाले पहरे पर खड़े हुए मकरध्वज ने स्वयं को हनुमान का पुत्र बताया।
मकरध्वज ने हनुमान जी से बोला कि आप जब माता सीता की खोज में लंका पहुंचे।
वहां पर रावण ने आपकी पूंछ में आग लगवा दी थी, जिसके बाद आप अपनी जलती पूंछ की आग बुझाने के लिए समुद्र तट पर पहुंचे।
आग बुझाते हुए आपके पसीने की एक बूंद पानी में टपकी, जिसे एक बड़ी मछली ने पी लिया था। उसी एक बूंद की वजह से वह मछली गर्भवती हो गई।