प्रत्येक वर्ष ज्येष्ठ मास की दशमी तिथि को गंगा दशहरा या गंगा जयंती के रूप में मनाया जाता है।
पौराणिक धार्मिक ग्रंथों में मिलने वाली कथाओं के अनुसार इसी दिन मां गंगा धरती पर अवतरित हुई थी।
हिंदू धर्म में गंगा नदी को बहुत ही पवित्र और पूजनीय माना गया है।
गंगा स्नान के अलावा प्रत्येक शुभ कार्य में भी गंगाजल का प्रयोग किया जाता है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार गंगा एक ऐसी नदी है, जिसमें स्वयं देवी-देवताओं ने स्नान किया है
गंगा का प्रादुर्भाव भगवान श्री हरि के चरणामृत से हुआ है इसलिए गंगा को बहुत ही पवित्र माना जाता है।
मान्यता है कि यदि मृत्यु के समय व्यक्ति के मुंह में गंगाजल डाल दिया जाए तो उसके पापकर्म नष्ट हो जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
गंगाजल कभी अशुद्ध नहीं होता है और न ही यह कभी सड़ता है। लोग गंगाजल को सालों तक अपने घर में रखते हैं लेकिन इसमें कभी कीड़े नहीं पड़ते हैं।
समुद्र मंथन के समय जिन स्थानों पर अमृत की बूंदें गिरी उनमें से गंगा ही एक ऐसी नदी है जिसमें दो स्थानों पर अमृत की बूंदें गिरी।
एक प्रयागराज और दूसरा स्थान है हरिद्वार। अमृत की बूंदें गिरने के कारण गंगाजल को अमृत तुल्य माना जाता है।