उत्तर प्रदेश के वाराणसी स्थित काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के ठीक बगल में हलचल तेज है। सावन मास में जहां एक तरफ काशी विश्वनाथ मंदिर में भक्तों का जमावड़ा लगा हुआ है। वहीं, ठीक बगल में स्थित ज्ञानवापी को लेकर लोगों के बीच तरह-तरह की राय सामने आ रही है।
ज्ञानवापी को कोई आदि विश्वेश्वर महादेव और श्रृंगार गौरी का मंदिर करार दे रहा है, वहीं कुछ लोगों का मानना है कि ज्ञानवापी 600 सालों से खड़ा है। यहां नमाज पढ़ी जा रही है।
करीब 350 सालों से इस मस्जिद को लेकर विवाद चल रहा है। वहीं, 104 सालों से कोर्ट में मामला चल रहा है। इन तमाम कोर्ट की कानूनी प्रक्रियाओं के बीच पहली बार इस मस्जिद के एएसआई सर्वे की प्रक्रिया को शुरू किया गया है।
इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले के बाद राजनेताओं के बयानों पर गौर करेंगे तो आपको स्थिति का अंदाजा हो जाएगा। भारतीय जनता पार्टी के नेताओं की ओर से सर्वे से सच के सामने आने की बातें कही जा रही हैं।
मुस्लिम नेता भी इस मामले में खुलकर सामने आ रहे हैं। वे कोर्ट के फैसले का जवाब कोर्ट से ही देने की बात कर रहे हैं। वहीं, कोर्ट के फैसले से देश में कुछ भी नहीं बदलने जैसी बातें भी कही जा रही हैं।
ज्ञानवापी को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का बड़ा बयान पिछले दिनों सामने आया है। उन्होंने एक मीडिया इंटरव्यू में ज्ञानवापी को मस्जिद कहे जाने पर विवाद की बात कही है। उन्होंने कहा कि अगर आप ज्ञानवापी को मस्जिद कहेंगे तो विवाद होगा ही।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस मामले में साफ कहते हैं कि हम इस मुद्दे का समाधान चाहते हैं। मुस्लिम पक्ष की ओर से ऐतिहासिक गलती हुई है। इसलिए, मुस्लिम पक्ष की ओर से ही मामले में प्रस्ताव आना चाहिए।
मुस्लिम पक्ष की ओर से सर्वे का लगातार विरोध किया जा रहा है। एएसआई सर्वे को लेकर जिस प्रकार से वाराणसी से दिल्ली और फिर प्रयागराज की दौर हुई है, वह मुद्दे को लेकर मुस्लिम पक्ष के शक और गंभीरता को दिखाता है। बाबरी मस्जिद केस में जिस प्रकार से एएसआई सर्वे रिपोर्ट ने एक बड़ी भूमिका निभाई, मुस्लिम पक्ष को शक है कि कहीं वही स्थिति ज्ञानवापी को लेकर न खड़ी हो जाए।
ज्ञानवापी का मुद्दा काफी पुराना है। करीब 6 शताब्दी पहले इस मस्जिद का निर्माण किया गया। मुगल काल में बनी मस्जिद को लेकर हिंदू पक्ष की ओर से कई दावे किए गए। आदि विश्वेश्वर महादेव के मंदिर को तोड़कर मस्जिद के निर्माण का आरोप लगा।
जिला जज ने अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद समिति की ओर से दीवानी मुकदमे के खिलाफ चुनौती को खारिज कर दिया। इसमें ज्ञानवापी मस्जिद और उसके आसपास की भूमि के टाइटल को चुनौती दी गई थी। इसका मतलब है कि दीवानी मुकदमों की सुनवाई होगी। विवरण और साक्ष्य की जांच कराई जाएगी। इसके आधार पर निर्णय होगा।