महाभारत युद्ध के अंत में अश्वथामा ने,धृष्टधुम्न और पांडवो के सभी बच्चों को सोते हुए हीं मार दिया था।
यही नहीं अश्वथामा ने उत्तरा के गर्भ में पल रहे,अभिमन्यु के बेटे पर भी ब्रह्मास्त्र जैसा घातक अस्त्र चला दिया था।
श्री कृष्ण ने उस बालक को बचा कर और अश्वथामा से उसकी उस दिव्य मणि को छीन कर,
अश्वथामा को कलयुग के अंत तक दर्द में भटकने के लिए छोड़ दिया था।
अपने माथे पर उस घाव को लिए,अश्वथामा आज भी दर्द के साथ उस मणि की तालाश में भटक रहा है।
अश्वथामा की तलाश खत्म नहीं हुई और आज भी अश्वथामा भारत की धरती पर जिन्दा है।
जिसे अक्सर मध्यप्रदेश मध्य प्रदेश के प्राचीन शिव मंदिर में देखने का दावा किया जाता है।