एक रहस्यमई मंदिर,एक शक्तिशाली भगवान और एक सालों पुरानी भविष्यवाणी।जिसके सीधा सम्बन्ध,बद्रीनाथ मंदिर से है और मंदिर के पीछे मौजूद उन दो रहस्यमई पहाड़ों से है।
उत्तराखंड के जोशीमठ में भगवान विष्णु का एक अन्य प्राचीन मंदिर स्थित है,जिसे नरसिंह मंदिर के नाम से जाना जाता है। यहाँ भगवान विष्णु के अन्य अवतार भगवान नरसिंह की पूजा की जाती है।
सर्दियों में बदरीनाथ मंदिर के मुख्य कपाट बंद हो जाने के बाद,पुजारी इसी नरसिंह मंदिर में भगवान बद्रीनारायण की पूजा जारी रखते हैं। इस पवित्र नरसिंह मंदिर में भगवान नरसिंह की प्रतिमा 10 इंच की है।
ऐसी भविष्यवाणी है कि जिस दिन भगवान नरसिंह कि यह बाईं भुजा टूट कर गिर जाएगी,उस दिन बद्रीनाथ धाम लुप्त हो जाएगा। जोशीमठ में स्थित भगवान नरसिंह का बायां हांथ गिरते के साथ,एक भयानक भूकम्प आएगा।
नर और नारायण नाम के दो पर्वत,जिन्हे जय और विजय के नाम से भी जाना जाता है वे एक हो जाएँगे। प्रचंड भूकम्प के कारण वो विशाल पर्वतों के एक हो जाने से बद्रीनाथ मंदिर लुप्त हो जाएगा,तब भविष्य बद्री मंदिर में भगवान बद्रीनाथ के दर्शन होंगे।
भविष्य बद्री मंदिर को भगवान बद्रीनाथ का अन्य मंदिर माना जाता है। भविष्य बद्री चमोली जिले के जोशीमठ के पास,सुभाई गांव में स्थित है। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण आदि गुरु शंकराचार्य ने किया था।
नर और नारायण कोई और नहीं बल्कि श्री हरी के हीं अवतार हैं। भगवान विष्णु ने धर्म की महिमा बढ़ाने के लिए अनेकों लीलाएं की हैं। भक्ति मार्ग को प्रोत्साहित करने के लिए,भगवान विष्णु ने नर और नारायण का अवतार लिया था।