जब काल भैरव ने अपने भक्त को श्मशान में फिरने वाले सायों से बचाया।

उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर में विपुल नाम का एक व्यक्ति रहा करता था , विपुल पिछले कुछ साल से महादेव के ही दूसरे रूप जिन्हे काल भैरव के नाम से जाना जाता है उनकी पूजा व आराधना करने लगा था।  कई संतो व अघोरियों से काल भैरव की पूजा विधि सीख व और कई प्रकार की बातें जान कर विपुल ने शहर के श्मशान में स्थित  काल भैरव के मंदिर में उनकी  की सेवा किआ करता था , प्रतीक रविवार वह वहाँ जाकर कभी भांग तो कभी मदिरा से काल भैरव को स्नान कराया करता था।  वहाँ जाने में आम लोग बेहद डरा करते थे लोग बताते है की वह का अदृश्य शक्तियां है कभी किसी के आस पास होने का आभास होता है तो कभी किसी के रोने की आवाज ज़ोरो से आया करती।  परन्तु विपुल ने इन साड़ी बातों को अनदेखा व अनसुना कर दिया , और अपना वहाँ जाने का नियम चालू रखा।  एक रविवार ऐसा आया की विपुल को काल भैरव के मंदिर जाने में देर हो गयी , कुछ रात दस बजे का समय था जब विपुल वहाँ पहुंचा कुछ देर बाद वह  मंदिर से पूजा करके बाहर आया उस समय श्मशान में कोई परिंदा तक नहीं था और  बाहर सड़क पर भी सन्नाटा छाया हुआ था।  वह धीरे धीरे आगे बढ़ने लगा तभी पीछे से ऐसी आवाज आयी की उसे किसी ने बुलाया हो उसने पीछे मुद कर देखा तो वहाँ कोई ना था।  वह वापस अपने मार्ग पर चलने लगा थोड़ा आगे बढ़ते ही  विपुल को लगा जैसे किसी ने उस का पैर किसी  ने बहुत बल के साथ किसी ने जकड लिया हो।  बहुत प्रयास करने के बाद भी वह आगे बढ़ पाने में असमर्थ था , फिर विपुल के पैर पर लगा बल बढ़ गया जिसके कारन वह नीचे गिर गया।  उसके शरीर पर अचानक से कुछ नाखुनो के घाव आ गए।  उसने चिल्ला चिल्ला कर किसी को बुलाने का प्रयास किआ परन्तु वह किसी ने उसकी आवाज नहीं सुनी पर सुमता भी कैसे वह कोई था भी तो नहीं।  विपुल बेबस था अपना पैर वह छुड़ा नहीं पा रहा था थक हार कर उसने काल भैरव को याद कर मैं में कहा मेरी रक्षा करो प्रभु मैं बहुत तकलीफ मैं हूँ ।  तभी ज़ोरो से बिजली कड़कने की आवाज आयी और वह गर्जना ऐसी थी की आसमान से बिजली धरती पर कही पास ही गिर गई हो।  तेज हवा भी शुरू हो गई जिसके कारण धुल उड़ने लगी।  विपुल को कुछ दिखाई नहीं दे रहा था।  तभी चलो तुमको महाकाल ने बुलाया है ऐसी एक  भारी सी आवाज गूंजती हुई विपुल के कानो में पड़ी।  विपुल ने चारों और नज़र फिराई परन्तु वह कोई नहीं था और उसे महसूस हुआ की जिस बल ने उसके पैरों को जकड़ रखा था वह अब महसूस नहीं हो रहा था वह खड़ा होकर श्मशान से बहार आ गया।  उसने फिर अंदर झांक कर देखा वहाँ उसे कोई दिखाई  नहीं दिया उसके बहार आते ही बिजली का कड़कना और तेज़ चल रही आंधी भी थम चुकी थी।  कुछ देर बाद उसे महसूस हुआ की महा काल ने ही उन अदृश्य शक्तियों से उसकी रक्षा की है।  उसने श्मशान के बहार से ही जय महाकाल का जयकारा लगाया और अपने घर की ओर चला गया।  इस प्रकार काल भैरव ने अपने भक्त की रक्षा की।  

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